Ek thi rani Ek tha Raja by Neeraj
जन सोचे इसके बारेकल क्या होगा सोचो प्यारेकिसकी लाभ और किसकी हानिएक दिन ख़तम घर होगा पानीरहेगा न ये वन-उपवन सबगर्मी बदती थी जायेगी तबशुरू तो होगी खिंचा-तानीएक दिन ख़तम घर होगा पानीकुछ टपके न घर के नल सेरोज़ नहाए हम बोथल सेदाम बढे तो फिर क्या जानीएक दिन ख़तम घर होगा पानीये फूल और धरती सारीये हमारी दुनिया प्यारीनहीं रहेगी उसकी निशानीएक दिन ख़तम घर होगा पानी
आज न कुछ किया इसके बारेकल क्या होगा सोचो प्यारेशेहेरों घरों, से कत्च्रा फेकेंबिना सोचे, बिना ही समझेलोगों से है शहर भराएक मिनिट तू ठहर ज़राआबादी बढती गाये हैकूड़ा कत्च्रा भी कम नहीं हैखाना फेंका, पेपर फेंकादवाई और प्लास्टिक भी फेंकायहाँ वहां पड़ा है साराकत्च्रा गिरा सड़क और नालाआई बारिश-आकाश से पानीफिर से शुरू हुई कहानीकत्च्रे में पड़ी है हानिअब इस में मिला बारिश का पानीजाएगा यह पानी धरती मेंमिल जायेगा वातेर्ताब्ले मेंयेही फिर से ऊपर आएगाजिस घर बोरेवेल से खींचेगाकुछ टपकेगा नल से हानिऔर फिर हम यहीं पिए पानीरोज़ नहाए हम इस से यार!और करें हम खाना तैयार!कुछ करो, कुछ सोच्चो भाई!रयूसे रेच्य्क्ले करो, हो पाएघर में तुम कम्पोस्ट बनाओप्लास्टिक बैग को न ही लाओनदी तलाब को रखें साफ़बोलेन पोल्लुतिओं के खिलाफकैसे पानी की रक्षा करे हमऔर मिलकर सुल्जाव ढूदें हम
कल मैंने देखा एक अजीब सा सपना की इस बार की होली कुछ सूखी होगी रंग है रूठे .मटके हैं फूटेचाहे हो घर या फिर स्कूल का नलसबका बस एक यही सवाल की कहाँ है जाल?कहाँ है जल????बदल बाबा की फैक्ट्री से आताचाट पर गिरता, मन बहलाताकहाँ हो तुम ओ मेघा रानी ?भेजो पानी, भेजो पानीअब बादल बाबा थे गुस्से में,गरज कर बोले नहीं मिलेगा पानी,तुम लोग सभी हो गैर ज़िम्मेदारबस करते हो अपनी मनमानी..नल है दिन भर रिश्ता रहता, पानी का टंक फुल हो कर बहता..ब्रुश करते हुए पानी बहता जाएऔर बेचारे पेड़ों को तद्पान्येजब तक न मिले तुम सबका साथ,पानी की फैक्ट्री में न होगा कामबचाओ पानी की हर एक बूँद,टपकते नल को जाओ ढून्ढबदल बाबा न हो नाराज़सुनो हमारी फ़रियादहम ने सब है प्राण लियाटपकते नल तो बंद किया